रामायण में भगवान राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे वह स्थान Shivrinarayan है जो छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में स्थित है यहाँ आपको बहुत से प्राचीन मंदिर देखने को मिल जायेंगे जिसमे से प्रसिद्ध है Shivrinarayan mandir जिसमे श्री नारायण की भव्य प्रतिमा है।
इसके अलावा भी शिवरीनारायण में आपको और बहुत से प्राचीन मंदिर देखने को मिल जायेंगे जिनके बारे में हमने आपको इस पोस्ट में बताया है। जानने के लिए पोस्ट में बने रहे –
शिवरीनारायण मंदिर के बारे में
भारत में बहुत से ऐसे स्थान है, जो रामायण और महाभारत काल से जुड़े हुए है। लेकिन हम बात करेंगे छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में स्थित शिवरीनारायण मंदिर की यही भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान अपना समय बिताया था और यही श्री राम ने माता शबरी के जूठे बेर खाए थे।
महानदी, शिवनाथ नदी और जोक नदी के संगम से महानदी के तट पर स्थित है Shivrinarayan mandir। इस मंदिर के दीवारों पर रामायण कालीन के बहुत से घटनाओं के चित्र देखने को मिल जाएंगे जो इस मंदिर में चित्रित की गई है।
Shivrinarayan history in hindi | शिवरीनारायण का इतिहास
शिवरीनारायण का इतिहास रामायण काल के जुड़ा हुआ है, जिसे हैहय वंश के राजाओं द्वारा 7वी शताब्दी में निर्मित किया गया था। जिसका वर्णन हमें पुराणों में भी मिलता है। इस मंदिर में 16 पिलर बने हुए हैं तथा मंदिर के दीवारों पर रामायण काल के बहुत से घटनाओं के चित्र देखने को मिल जाते हैं। यहां भगवान राम के आने के कई साक्ष मिलते हैं यहां भगवान राम अपने वनवास काल के दौरान महादेव की पूजा किए थे। जिसके कारण महानदी के तट पर स्थित लक्ष्मणेश्वर मंदिर शिवरीनारायण का सबसे प्राचीन मंदिर कहलाता है.
भगवान राम वनवास काल में माँड नदी के तट से चंदरपुर पहुंचे, फिर चंदरपुर से होते हुए महानदी के संगम के पास पहुंचे जहां मतंग ऋषि का आश्रम था। जहां मतंग ऋषि के निधन के बाद माता शबरी निवास करती थी। वहां भगवान राम अपना कुछ समय आश्रम में व्यतीत किए थे। और यहां स्थित प्राचीन मंदिरों में पूजा अर्चना किए थे जिसके साक्ष आपको मिल जाएंगे।
शिवरीनारायण क्यों प्रसिद्ध है
शिवरीनारायण में बहुत से प्राचीन मंदिर है जो रामायण काल से जुड़े हुए हैं कहते हैं भगवान राम अपनी वनवास के समय कुछ समय व्यतीत किए थे। और यही भगवान राम ने माता शबरी के जूठे बेर खाए थे। जिसका वर्णन हमें पुराणों में मिलता है, जिसके कारण शिवरीनारायण प्रसिद्ध है।
शिवरीनारायण महानदी, शिवनाथनदी और जोक नदी के संगम स्थल पर हैं, जहां आपको छोटे-बड़े प्राचीन मंदिर देखने को मिल जाते हैं।
जिनमें शामिल है –
1. शिवरीनारायण मंदिर | Shivrinarayan Mandir
शिवरीनारायण नगर प्रयाग जितना ही पुराना है इसलिए इसे तीर्थ राज प्रयाग भी कहा जाता है। Shivrinarayan Mandir महानदी के तट पर स्थित है इसकी प्राचीनता और वैभव दूर-दूर तक फैली हुई है। इस मंदिर को रामायण काल का बताया जाता है, यहां पर भगवान राम के वनवास के समय के बहुत से साक्ष्य देखने को मिलते हैं।
मंदिर के अंदर लक्ष्मी नारायण की भव्य प्रतिमा स्थापित है तथा दीवार के चारों ओर बहुत से देवी देवताओं के चित्र बने हुए हैं तथा उपयोग की गई नक्काशी उसे समय के हिसाब से बहुत आधुनिक दिखाई देता है।
2. शबरी माता मंदिर
शिवरीनारायण से 4 किलोमीटर दूर खरोद में माता शबरी का भव्य मंदिर स्थित है। यह वैष्णो देवी मंदिर है जिसे लोग शबरी माता मंदिर के नाम से जानते हैं। यही वह जगह है जहां भगवान राम को शबरी ने अपने जूठे बेर खिलाए थे। जिसके कारण इस स्थान पर माता शबरी का मंदिर बनाया गया।
3. नर नारायण मंदिर
नर नारायण मंदिर को राजा शबर द्वारा 12 सदी ईस्वी में बनाया गया था। मंदिर के गर्भ गृह के अंदर भगवान नारायण की सुंदर प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के प्रवेश द्वार के दोनों किनारे मां गंगा और यमुना का शिल्प से चित्र बनाया गया है। तथा मंदिर के दीवारों पर भगवान नारायण के दसों अवतारों को चिन्हित किया गया है। मंदिर के पास एक छोटा सा कुंड है जिसमें हमेशा पानी भरा रहता है जिसे रोहणी कुंड कहते हैं।
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4. केशव नारायण मंदिर
शिवरीनारायण में बहुत से प्राचीन मंदिर है जिनमें से एक केशव नारायण मंदिर है यह नर नारायण मंदिर के ठीक सामने स्थित है, जिसे लगभग 12वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था। मंदिर के गर्भ गृह में भगवान विष्णु की बहुत सुंदर प्रतिमा स्थापित है। जहां आपको रामायण कालीन के बहुत से साक्ष्य देखने को मिल जाएंगे।
5. लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर
लक्ष्मेश्वर महादेव मंदिर खरौद में स्थित है जो शिवरीनारायण से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लक्ष्मेश्वर महादेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का काशी भी कहते हैं। भगवान राम अपने वनवास काल के दौरान यहां पूजा करने आए थे ऐसा साक्ष मिलता है।
इस मंदिर में 16 पिलर स्थापित है तथा दीवारों पर वनवास काल के घटनाओं के चित्र अंकित किए गए हैं मंदिर के गर्भ ग्रह में मां गंगा और यमुना का शिल्प प्रतिमा बनाया गया है। मंदिर के अंदर शिवलिंग स्थापित है जिसमें सवा लाख छिद्र है जिसके ऊपर जल चढ़ाने पर जल क्षेत्र से होते हुए पाताल लोक तक चला जाता है ऐसा यहां रहने वाले लोगों की मान्यता है।
6. चंद्रचूड़ महादेव
नर नारायण मंदिर के निकट में स्थित है चंद्रचूड़ महादेव मंदिर जिसके अंदर बहुत से देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित है मंदिर के गर्भ गृह में कलचुरी कालीन शिलालेख देखने को मिलते हैं। मंदिर के प्रांगण में भगवान श्री राम के चरण पादुका के चिन्ह स्थापित है, जो इसे एक ऐतिहासिक मंदिर बनता जाता है।
7. जगन्नाथ मंदिर
छत्तीसगढ़ में भी एक जगन्नाथ मंदिर है जो शिवरीनारायण में स्थित है जो नर नारायण मंदिर के समीप स्थित है। मंदिर का बनावट पुरी जगरनाथ मंदिर की तरह दिखाई पड़ता है। यहां “कृष्णा वाट या माखन कटोरी” नाम से प्रसिद्ध मंदिर में वट वृक्ष है, जिसकी खासियत हर हफ्ते इसके पत्ते दोने के आकार का होता है। और यहां हर साल मांघ पूर्णिमा के समय विशाल मेला आयोजित किया जाता है।
Shivrinarayan Tourist Places
शिवरीनारायण में घूमने की जगह
शिवरीनारायण जांजगीर चांपा जिले में स्थित एक नगर है जहां आपको बहुत से प्राचीन मंदिर देखने को मिल जाते हैं जिसका संबंध रामायण काल में भगवान राम के वनवास के दौरान माता शबरी द्वारा जूठे बेर को भगवान राम को खिलाया गया था।
जिसमे हम बात करेंगे शिवरीनारायण में स्थित धार्मिक स्थल के बारे में
- Mahanadi River
- Sheorinarayan Temple
- Chana Sagar Lake
- Shabari Temple
- Jagannath Temple
- Chndrachud Temple
- Laxmaneshwar Temple
- Sheorinarayan Temple
- Keshav Mahadev Temple
- Nar Narayan Temple
और भी बहुत से छोटे-छोटे मंदिर है जो आपको शिवरीनारायण में देखने को मिल जाएंगे।
Cgyatra Opinion –
छत्तीसगढ़ में बहुत से ऐसे प्राचीन मंदिर है जो रामायण और महाभारत काल से जुड़े हुए हैं जिनमें जांजगीर-चंपा के शिवरीनारायण नगर में स्थित बहुत से छोटे-बड़े प्राचीन मंदिर भी शामिल है, यहां भगवान राम के वनवास के बिताए गए समय के बहुत से साक्ष देखने को मिलते हैं और यही माता शबरी के द्वारा भगवान राम को जूठे बेर खिलाए गए थे।
यहां प्राचीन मंदिरों में आपको ऐसे ऐसे शिल्पो के ऊपर नक्काशी आकृतियां देखने को मिलेगी जो आज के आधुनिक मशीनरी के द्वारा भी बनाना असंभव है। यहां पत्थरों को कटकर ऐसे ऐसे प्रतिमाएं बनाए गए हैं जो आपको आश्चर्यचकित करके रख देंगे। इसलिए इस प्राचीन मंदिर का दौरा अवश्य करना चाहिए।
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शिवरीनारायण मंदिर कैसे पहुचे?
यदि आप जांजगीर-चांपा जिले के शिवरीनारायण ग्राम में स्थित शिवरीनारायण मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो आपको यहां पहुंचना होगा। यहां पहुंचने के लिए बहुत से यात्रा के साधन आपको मिल जाएंगे जिससे कि आप shivrinarayan mandir बड़ी आसानी से पहुंच पाएंगे।
इस प्रकार आप shivrinarayan mandir shivrinarayan तक पहुच सकते है –
By Bus (बस द्वारा) – बस द्वारा shivrinarayan mandir तक आप बड़ी आसानी से पहुच सकते है।
By Train (ट्रेन द्वारा) – ट्रेन द्वारा आप जांजगीर-चांपा बड़ी आसानी से पहुच सकते है।
By Air (हवाई द्वारा) – हवाई द्वारा आप जांजगीर-चांपा तक पहुंचना आसान है।
आपके प्रश्न
शिवरीनारायण मंदिर कहां है
शिवरीनारायण छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में स्थित है।
शिवरीनारायण का मेला कब होता है?
शिवरीनारायण का मेला मांग पूर्णिमा में आयोजित किया जाता है जो फरवरी माह में आता है।
निष्कर्ष
यदि आप किसी ऐसी जगह की तलाश में जहा आप महाभारत और रामायण जैसी काल के अवशेष देख सके तो यह छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के शिवरीनारायण में एक ऐसा ही मंदिर देखने को मिलता है जहाँ रामायण कालीन के कुछ साक्ष देखने को मिलते है। साथ ही यहाँ प्रति वर्ष विशाल मेला का आयोजन माघ पूर्णिमा में होता है जहाँ आप अपने दोस्त और परिवार के साथ आ सकते है। इस पोस्ट में मैंने shivrinarayan mandir की सारी जानकारीयां दे दी है जिसकी मदद से आप यहाँ आ सकते है।
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आपका दिन शुभ हो
धन्यवाद!