छत्तीसगढ़ के बालोद जिला मुख्यालय के ग्राम झलमला में स्थित ganga maiya mandir एक पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मंदिर बालोद जिला मुख्यालय के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं। जिसे देखने के लिए पर्यटक तथा श्रद्धालु भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं। यह भी कहा जाता है कि मां गंगा मैया यहां आने वाले श्रद्धालु भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
इस पोस्ट में हम आपको गंगा मैया मंदिर बालोद के बारे में पूरी जानकारी देंगे। हम आपको मंदिर के इतिहास तथा कहानियों के बारे में बताएंगे। जो यहां के मुख्य निवासियों द्वारा प्रचलित है, जानने के लिए आप हमारे साथ बने रहिए।
गंगा मैया मंदिर | Ganga Maiya Mandir Balod
बालोद जिले में स्थित गंगा मैया मंदिर अपनी प्रसिद्धि के लिए जानी जाती हैं। यह मंदिर बालोद जिले से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम झलमला में स्थित है। यह मंदिर अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए जानी जाती है। यहां आने वाले सैकड़ो श्रद्धालु भक्त मां गंगा मैया के दर्शन कर सुकून और शांति का अनुभव करते हैं।
मंदिर की रूपरेखा भव्य रूप से बनाई गई है। जिसमें मंदिर के गर्भ गृह में माता गंगा मैया की सुंदर प्रतिमा को विराजमान किया गया है। माता गंगा मैया की सुंदर नयन बड़ी खूबसूरती से उजागर किए गए हैं जिसे ऐसा प्रतीत होता है कि मां गंगा मैया अपने भक्तों को बड़ी स्नेह से बैठे हुए देख रही है।
गंगा मैया मंदिर का इतिहास (history) 130 साल पुराना बताया जाता है। जिसके पीछे एक कहानी यहां की स्थानीय लोगों द्वारा अत्यधिक प्रचलित है। जो इस प्रकार हैं:-
एक समय की बात है यहां एक मछुआरा रहता था। वह हर रोज एक सरोवर में मछली पकड़ने जाता था। एक दिन की बात है जब उसे मछुआरे के साथ एक घटना बार-बार होने लगी। जब मछुआरे ने मछली पकड़ने के लिए अपना जाल सरोवर में फेंका। तो उसने देखा कि उसके जाल में एक पत्थर बार-बार आ रहा है। जिसे वह मछुआरा बार-बार अपनी जाल से निकालकर पानी में फेंक रहा है। मछुआरे को कुछ समझ ही नहीं आ रहा कि उसके साथ हो क्या रहा है?
दूसरी तरफ एक बाबा जो मां दुर्गा के भक्त थे। उसे सपने में मां जाकर कहती है कि गंगा मैया की मूर्ति एक मछुआरे के जाल में आ रही है जिसे वह मछुआरा समझ नहीं पा रहा है। इसलिए आप उसे मूर्ति को वहां से निकाल कर एक मंदिर का निर्माण करते हुए मूर्ति को वहां प्रतिष्ठित करें। माता के द्वारा ऐसा सुन बाबा अगले दिन मछुआरे के पास गया और उससे पूछा कि क्या तुम्हारे जल में एक पत्थर बार-बार आ रहा है। मछुआरे ने कहा हां बाबा मेरे जाल में प्रतिदिन एक पत्थर बार-बार आ जाता है। फिर बाबा ने मछुआरे को बताया वह पत्थर और कोई नहीं बल्कि मां गंगा मैया की मूर्ति है। फिर अगले दिन मछुआरे ने अपने जाल से गंगा मैया की मूर्ति को निकाला और गांव के सभी मुख्याओं से सलाह करके यहां भव्य मंदिर का निर्माण करते हुए माता गंगा मैया देवी की प्रतिमा को विराजमान किया गया।
कहा जाता है तब से यहां मां गंगा मैया अपने भक्तों की रक्षा तथा उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। तथा यहां के निवासियों द्वारा सन 1918 के बाद से रामायण मेले का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है जिसमें सम्मिलित होने के लिए दूर-दूर से बहुत से श्रद्धालु भक्त तथा पर्यटक यहां आते हैं।
FAQs (आपके कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न)
गंगा मैया मंदिर कहां है?
गंगा मैया मंदिर छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित है। जो अपनी प्रसिद्धि के लिए जानी जाती है।
बालोद से गंगा मैया मंदिर की दूरी कितनी है?
जिला मुख्यालय बालोद से गंगा मैया मंदिर की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है जहां आप बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं।
गंगा मैया मंदिर खुलने का समय
गंगा मैया मंदिर सुबह 6:00 बजे से शाम के 7:00 बजे तक खुला रहता है। इस बीच आप आकर मां गंगा मैया के दर्शन कर सकते हैं।
गंगा मैया मंदिर कैसे पहुंचे?
यदि आप गंगा मैया के दर्शन करना चाहते हैं, तो आप निम्न यात्रा के साधना द्वारा ganga maiya mandir balod तक बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं। इसके बारे में मैं नीचे आपको बताया है कि आप कैसे यहां पहुंच सकते हैं?
सड़क मार्ग द्वारा: सड़क मार्ग द्वारा आप बड़ी आसानी से अपने बाइक, कार, बस द्वारा बालोद जिला पहुंचकर यहां से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी तय कर गंगा मैया मंदिर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा: रेल मार्ग द्वारा आप किसी भी जिले से बड़ी आसानी से बालोद जिला पहुंचकर यहां से बस द्वारा3 किलोमीटर की दूरी तय करके गंगा मैया मंदिर पहुंच सकते हैं।
मेरे द्वारा बताए गए यह दोनों विकल्प आपके लिए उपयुक्त है। आप इन दोनों सदनों द्वारा बड़ी आसानी से अपने लोकेशन से बालोद जिले के ganga maiya mandir तक बड़ी ही आसानी से पहुंच सकते हैं। यदि आप यहां आने का प्लान बना रहे हैं तो आप यहां अकेले आने के बजाय अपने पूरे परिवार तथा दोस्तों के साथ आइये।