Turturiya Dham : लव कुश का जन्म स्थल

तुरतुरिया केवल एक स्थान नहीं, बल्कि turturiya dham अनेक धार्मिक और पौराणिक कथाओं से जुड़ा एक अद्भुत तीर्थस्थल है। यह प्राचीन स्थल बलोदा बाजार और महासमुंद जिले की सीमा पर स्थित है, जो इसे पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाता है।

तुरतुरिया धाम में कई प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहाँ का मुख्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिसे “तुरतुरेश्वर महादेव” के नाम से जाना जाता है। मंदिर के आसपास कई अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण को समर्पित मंदिर शामिल हैं।

Turturiya Dham | तुरतुरिया धाम बलौदा बाजार

तुरतुरिया धाम, छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में स्थित एक अद्भुत तीर्थस्थल है। यह सिरपुर से मात्र 35 किलोमीटर और रायपुर से 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान अपनी मनमोहक और प्राकृतिक सुंदरता एवं धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।

तुरतुरिया छत्तीसगढ़ में महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था, जहाँ उन्होंने रामायण की रचना की थी। यहाँ सीता माता ने लव और कुश को जन्म दिया था। इस स्थान पर वाल्मीकि तालाब, सीता गुफा, लव-कुश मंदिर और वाल्मीकि मंदिर जैसे अनेक दर्शनीय स्थल हैं।

प्रतिवर्ष पौष पूर्णिमा को यहाँ एक विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। यह मेला अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है।

turturiya ashram उन लोगों के लिए एक आदर्श स्थान है जो प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेना चाहते हैं और धार्मिक महत्व का अनुभव करना चाहते हैं। यहाँ का शांत वातावरण और मनमोहक दृश्य आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे।

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रामायण काल से जुड़ाव: turturiya mandir का महत्व रामायण काल से जुड़ा हुआ है। यह माना जाता है कि भगवान राम वनवास के दौरान इस स्थान से गुजरे थे। यहाँ, उन्होंने भगवान शिव की पूजा की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। यह घटना रामायण के अरण्यकांड में वर्णित है।

छत्तीसगढ़ का महत्व: तुरतुरिया केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि turturiya dham ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण स्थान है। यह छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित है, जो भगवान राम की माता कौशल्या का जन्मस्थान माना जाता है। यहाँ मामा-भांजे का रिश्ता बड़े आदर और सम्मान के साथ निभाया जाता है, जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

यहां का रास्ता पक्का है, लेकिन आश्रम से 5 किलोमीटर पहले यह कच्चा और घुमावदार हो जाता है। यदि आप तुरतुरिया आना चाहते हैं, तो सुबह का समय सबसे अच्छा है, क्योंकि रास्ते दुर्गम हैं और शाम को जंगली जानवरों का खतरा भी रहता है।

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Turturiya Dham Story in Hindi | तुरतुरिया की कहानी

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छत्तीसगढ़ का एक प्राचीन धार्मिक स्थल है turturiya mandir जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह स्थान सीता मां के जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्ध है, जो भगवान श्री राम की पत्नी थीं।

मान्यता है कि भगवान राम द्वारा परित्याग किए जाने पर माता सीता को फिगेश्वर के समीप सोरिद अंचल ग्राम (रमई पाठ) में छोड़ दिया गया था। वही माता का निवास स्थान था। सीता मां की प्रतिमा आज भी उस स्थान पर विराजमान है। जब मां सीता के बारे में महर्षि वाल्मीकि को पता चला तो वे माता को अपने साथ तुरतुरिया ले आए। तुरतुरिया के आश्रम में रहते हुए सीता मां ने लव और कुश को जन्म दिया।

turturiya chhattisgarh में आज भी कई दर्शनीय स्थल हैं जो सीता मां के जीवन से जुड़े हुए हैं। इनमें वाल्मीकि आश्रम, सीता मंदिर, लव कुश मंदिर, और सीता तालाब प्रमुख हैं।

पर्यटकों के लिए turturiya dham एक आकर्षक स्थल है। यहां आप प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं, सीता मां के जीवन से जुड़े स्थानों को देख सकते हैं, और आध्यात्मिक शांति का अनुभव कर सकते हैं।

तुरतुरिया धाम लव कुश जन्म स्थल

तुरतुरिया धाम छत्तीसगढ़ का एक ऐसा पर्यटन स्थल है जो इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। यह स्थान केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि कई ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण भी प्रसिद्ध है।

यहां, माता सीता ने भगवान राम के पुत्र लव और कुश को जन्म दिया था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब माता सीता गर्भवती थीं, तब भगवान राम ने उन्हें वाल्मीकि के आश्रम में भेज दिया था। यहां, सीता ने लव और कुश को जन्म दिया और वाल्मीकि ने उनका पालन-पोषण और शिक्षा-दीक्षा प्रदान की।

महर्षि वाल्मीकि ने इसी स्थान पर रामायण की रचना की थी। माना जाता है कि उन्होंने यहां तपस्या की थी और उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था। तुरतुरिया धाम में कई प्राचीन मंदिर और स्मारक हैं, जो इस स्थान के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं। इनमें लव-कुश मंदिर, माता सीता मंदिर, वाल्मीकि आश्रम और गौमुख धारा प्रमुख हैं।

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तुरतुरिया नामक क्यों प्रसिद्ध है?

तुरतुरिया धाम, छत्तीसगढ़ का एक अद्भुत धार्मिक और पर्यटन स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनोखी ध्वनि के लिए प्रसिद्ध है। बलभद्र नाला, चट्टानों से होकर गुजरते हुए, एक शानदार झरने का निर्माण करता है। झरने के नीचे गिरने पर पानी बुलबुले बनाता है, जो ‘तुरतुर’ की मधुर ध्वनि उत्पन्न करते हैं। यही ध्वनि इस धाम को ‘तुरतुरिया’ नाम देती है।

तुरतुरिया नाम कैसे पड़ा?

‘तुरतुरिया’ शब्द का अर्थ ‘छोटे-छोटे बुलबुलों की ध्वनि’ होता है, यहां 12 जलधाराएं हैं जो प्रकृति की गोद में सरम्य तुर-तुर ध्वनि के साथ बहती हैं, जिसके कारण इस स्थान का नाम तुरतुरिया पड़ा। इन जलधाराओं का संगम एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है और पर्यटकों को आकर्षित करता है।

तुरतुरिया धाम केवल धार्मिक महत्व के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है। हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा यह स्थान, मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है। शांत वातावरण और मनमोहक परिदृश्य, पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

तुरतुरिया नामक स्थान कहां स्थित है?

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में स्थित turturiya dham एक अद्भुत तीर्थस्थल है। यह सिरपुर से मात्र 35 किलोमीटर और रायपुर से 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान अपनी मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।

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How to Reach Turturiya Dham | तुरतुरिया कैसे पहुचें?

तुरतुरिया छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित एक अद्भुत पर्यटन स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और मनोरंजक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। यह पर्यटन स्थल पहाड़ों, घने जंगलों, झरनों और प्राचीन मंदिरों से घिरा हुआ है, जो इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाता है।

  • सड़क मार्ग द्वारा: आप अपनी निजी वाहन, बस, कार या टैक्सी द्वारा तुरतुरिया पहुंच सकते हैं। यह पार्क अच्छी तरह से सड़कों से जुड़ा हुआ है, जिससे यहां पहुंचना आसान है।
  • रेल मार्ग द्वारा: यदि आप रेल मार्ग द्वारा यात्रा करना चाहते हैं, तो आपको पहले रायपुर रेलवे स्टेशन जाना होगा। रायपुर से आप टैक्सी या बस द्वारा तुरतुरिया पहुंच सकते हैं।
  • हवाई मार्ग द्वारा: यदि आप हवाई मार्ग द्वारा यात्रा करना चाहते हैं, तो आपको पहले रायपुर हवाई अड्डा जाना होगा। रायपुर हवाई अड्डा देश के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी या बस द्वारा turturiya dham chhattisgarh तक पहुंच सकते हैं।

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